देहरादून (उत्तराखंड) : उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के पेपर लीक मामले में सरकार पर लगातार दबाव बना हुआ था। ऐसे में सरकार ने पहली बार सबसे बड़ा कदम उठाया है। इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए सचिव संतोष बडोनी को तत्काल निलंबित कर दिया गया है। इस पद पर प्रारंभिक काल से ही संतोष बडोनी बने रहे। विपक्ष के विधायकों के साथ ही अन्य लोग भी संतोष बडोनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर सरकार पर सवाल उठा रहे थे । ऐसे में सरकार ने देर रात आदेश जारी कर संतोष बडोनी के निलंबन की पुष्टि की है । बडोनी को आयोग (UKSSSC) में सचिव के पद पर रहते हुए उन्हें घोर लापरवाही और जिम्मेदारियों के प्रति उदासीनता का दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया है।
निलंबन जनादेश में कहा गया था कि बडोनी अपने आधिकारिक कर्तव्यों का ठीक से पर्यवेक्षण नहीं कर सके। उनके कार्यकाल के दौरान आयोग की परीक्षाओं में कई तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं। निलंबन अवधि के दौरान बडोनी सचिवालय स्थित सचिवालय प्रशिक्षण एवं प्रबंधन संस्थान को कार्यालय से जोड़ा जाएगा। उन्हें आधे वेतन पर जीवन निर्वाह भत्ता की राशि देय होगी। कुछ दिनों बाद, सरकार ने बडोनी की प्रतिनियुक्ति को समाप्त कर दिया और उन्हें सचिवालय में संयुक्त सचिव के अपने मूल पद पर वापस कर दिया। इस मामले में कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण महरा ने भर्ती घोटाले को दो राज्यों का मामला बताया है । उन्होंने कहा है कि एसटीएफ की जांच का दायरा सीमित है । इसलिए जरूरी है कि इस मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए। उन्होंने इस घोटाले में अध्यक्ष, सचिव और जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी नहीं होने पर सवाल उठाए ।
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