भारत के CDS (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल बिपिन रावत ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के रवैये को देखते हुए भारत के पास सैन्य विकल्प भी मौजूद है।
दिल्ली: भारत ओर चीन के सैनिकों के बीच 15 जून की शाम पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत लगातार चीन से सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश कर रहा है। इस बीच भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के रवैये को देखते हुए भारत के पास सैन्य विकल्प भी मौजूद है।
CDS जनरल बिपिन रावत ने कहा कि एलएसी के साथ हुए बदलाव अलग-अलग धारणाओं के कारण होते हैं। सीमा पर रक्षा सेवाओं पर निगरानी रखने और घुसपैठ को रोकने का अभियान चलाया जाता है। इसी के साथ किसी भी मसले का शांतिपूर्ण तरीके से हल निकालने के लिए और घुसपैठ की घटनाओं पर रोक लगाने के इरादे से सरकार के संपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाया जाता है। रक्षा सेवाएं हमेशा सैन्य कार्य के लिए तैयार रहती हैं, फिर चाहे एलएसी में यथास्थिति को बहाल करने की बात ही क्यों न हो। उन्होंने कहा कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े जिम्मेदार लोग उन सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं, जिससे एलएसी पर यथास्थिति एक बार फिर बहाल की जा सके। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ डोकलाम में साल 2017 में 73 दिन तक चले सैन्य गतिरोध के दौरान सेना प्रमुख रहे सीडीएस रावत ने उन सभी बातों का खंडन किया जिसमें कहा जा रहा है कि देश की प्रमुख खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी है।
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चीन के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिए चल रहे प्रयासों के बीच भारत ने पूर्वी लद्दाख में फिंगर क्षेत्र से समान दूरी पर पीछे हटने के चीनी सुझाव को खारिज कर दिया है। कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बाद, दोनों पक्ष सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए सैन्य-स्तर की और वार्ताएं आयोजित करने पर भी काम कर रहे हैं। ऐसा उस सीमा विवाद के निपटारे के लिए किया जा रहा है, जो तीन महीने से अधिक समय से चला आ रहा है।