गोरखपुर। जल्द ही गोरखपुर देश के बायो फ्यूल उत्पादन (Bio Fuel Production) करने वाले जिलों की रैंकिंग में शामिल हो जाएगा। इसके लिए धुरियापार के बायो फ्यूल कॉम्प्लेक्स में कम्प्रेस्ड बायो गैस (Compressed Bio Gas) के कमर्शियल उत्पादन की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। अक्टूबर 2023 से ही यहां स्थापित प्लांट का ट्रायल जारी है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इसका औपचारिक उद्घाटन होगा। गुरुवार को कमिश्नर अनिल ढींगरा, जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश और मुख्य विकास अधिकारी संजय मीना ने इंडियन ऑयल की तरफ से लगाए गए प्लांट का निरीक्षण कर ट्रायल का अवलोकन किया और इसे पूर्णरूप से संचालन योग्य बनाने के आयामों पर चर्चा की।
धुरियापार की बंद पड़ी चीनी मिल के 50 एकड़ परिसर में बायो फ्यूल कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराने की जिम्मेदारी इंडियन ऑयल काॅरपोरेशन लिमिटेड के पास है। इसका शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) और तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 18 सितंबर 2019 को किया था। इस कॉम्प्लेक्स में पहले चरण में सीबीजी और दूसरे चरण में एथेनाल का उत्पादन होना है। पहले चरण में सीबीजी (Compressed Bio Gas) प्लांट तैयार हो गया है जबकि दूसरे चरण में 900 करोड़ रुपये से टूजी (सेकेंड जेनरेशन) एथेनॉल प्लांट का निर्माण होगा। 169 करोड़ रुपये की लागत वाली सीबीजी (Compressed Bio Gas) प्लांट में प्रतिदिन 230 टन कचरे से 28 टन बाॅयो गैस बनाई जाएगी। इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद अक्टूबर 2023 से ही ट्रायल चल रहा है। इसमें पराली (पुआल, गेहूं के डंठल, मक्के की डाठ, गन्ने की पत्ती) और गोबर का इस्तेमाल किया जाएगा।प्लांट में कमर्शियल उत्पादन शुरू होने के साथ ही प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से पांच हजार लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
सीबीजी (Compressed Bio Gas) प्लांट का ट्रायल देखने पहुंचे कमिश्नर व डीएम को इंडियन ऑयल के अधिकारियों ने बताया कि कम्प्रेस्ड बायो गैस के उत्पादन के साथ ही यहां प्रतिदिन 150 कुंतल बायो खाद भी तैयार होगी। इस खाद को किसान प्लांट से सीधे खरीद सकेंगे। बायो खाद से मिट्टी की उर्वरा शक्ति के साथ फसलों की पैदावार भी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन पराली व गोबर की आवश्यकता को देखते हुए अभी से इंतजाम किया जा रहा है ताकि प्लांट का संचालन निर्बाध हो सके।
बायो फ्यूल कॉम्प्लेक्स से किसानों को सर्वाधिक फायदा होगा। इसमें कच्चे माल के रूप में अब तक खेतों में जला दी जाने वाली पराली, अन्य अपशिष्ट और गोबर का प्रयोग होगा। प्लांट की ओर से इन चीजों की खरीद की जाएगी, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। इसके साथ ही उत्पादन से वितरण तक विभिन्न प्रकार के रोजगार भी सृजित होंगे।
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