देहरादून: उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं। सत्ता में काबिज़ बीजेपी को हर मोर्चे पर नई चुनौतियों का सामना करना पड़ है। जहा एक तरफ बीजेपी के कुछ विधायक अपनी ही पार्टी के लिए मुसीबत बने हुए हैं। तो वही दूसरी तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता कोरोना से लड़ रहे हैं। सूबे की सरकार का एक विवाद खत्म होता नहीं कि दूसरा शुरू हो जाता है।
ताजा मामला देहरादून नगर निगम के मेयर सुनील उनियाल गामा और उनकी बेटी से जुड़ा है। मेयर की बेटी को भारतीय चिकित्सा परिषद में नौकरी मिली है, जिस पर जमकर बवाल हो रहा है।
मेयर की बेटी श्रेया उनियाल को भारतीय चिकित्सा परिषद में नौकरी दिए जाने की खबर से विवाद गहराने लगा है। सोशल मीडिया पर श्रेया की नियुक्ति से जुड़ा एक लेटर वायरल हुआ है, इस लेटर पर जिला युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल के अधिकारी के हस्ताक्षर हैं। रजिस्ट्रार भारतीय चिकित्सा परिषद को भेजे गए इस पत्र में 4 लोगों को नियुक्ति देने के लिए कहा गया है।
जिसमें दो पद सुरक्षाकर्मी के हैं, एक पद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का है, जबकि एक पद लेखाकार का है। लिस्ट में लेखाकार के पद पर श्रेया उनियाल को नियुक्ति देने की बात लिखी है, जो कि मेयर सुनील उनियाल गामा की बेटी है।
तो वही इस पूरे मामले में विवाद बढ़ने के बाद युवा कल्याण के उपाध्यक्ष जितेंद्र रावत ने इसे लेकर सफाई भी दी। उन्होंने कहा कि संबंधित पद अस्थायी होते हैं। विभाग अपनी जरूरत के हिसाब से कभी भी आवेदनकर्ता को नौकरी से हटा सकते हैं। लेखाकार पद के लिए जो योग्यता चाहिए थी, वो महज एक आवेदनकर्ता द्वारा पूरी हो रही थी। जिस वजह से लेखाकार के पद पर उसी नाम को भारतीय चिकित्सा परिषद के रजिस्ट्रार को भेजा गया है। अब देखना यह है की देहरादून मेयर जनता द्वारा लगाए गए आरोप का जवाब क्या देते है।