देहरादून: बुधवार को उत्तराखंड uttarakhand जंगल की आग के मोर्चे पर वन विभाग को बहुत हद तक राहत मिलती नज़र आई । पिछले 12 घंटों में जंगल की आग के कुल मिलाकर 14 ही मामले सामने आए। वन विभाग के लिए सबसे बड़ी राहत सिविल और वन क्षेत्र के जंगलों में आग पर काबू पाने की रही।आरक्षित और सिविल क्षेत्र में कुल मिलाकर 13 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। वन विभाग की ओर से जारी फायर बुलेटिन के मुताबिक बुधवार को गढ़वाल मंडल में आठ, कुमाऊं मंडल में चार और वन्यजीव क्षेत्र में दो मामले सामने आए। सिविल क्षेत्र में आग के मात्र एक ही मामला सामने आया। यह मामला भी गढ़वाल मंडल का ही है, इसमें कुल 0.5 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ। वन विभाग ने करीब 30 हजार की आर्थिक क्षति का अनुमान लगाया है। इतना होने पर भी वन विभाग की चिंता कम नहीं हुई है।
अप्रैल में अभी तक 1668 हेक्टेयर वन क्षेत्र आग से प्रभावित हुआ है। करीब 38 लाख रुपये के नुकसान का अनुमान है। पिछले एक पखवाड़े में करीब 1200 मामले सामने आए हैं। प्रदेश में वनाग्नि के मामले मई और जून में ही ज्यादातर सामने आते हैं। अप्रैल में ही इतने ज्यादा मामले सामने आने से विभाग हैरान है। सर्दियों में बारिश बहुत कम होना इसकी एक बड़ी वजह मानी जा रही है।पर्यावरणविद और रक्षासूत्र आंदोलन के संयोजक सुरेश भाई ने जंगल की आग के हंगामे के बीच वन विभाग से वनों के व्यावसायिक दोहन पर रोक की मांग की है।
उत्तराखंड uttarakhand के उत्तरकाशी और टिहरी में वन निगम को पेड़ों की कटाई की पूरी छूट मिली हुई है। वन विभाग को भागीरथी, जलकुर, धर्मगंगा, बालगंगा, अलंकनंदा, पिंडर, मंदाकिनी, यमुना, टौंस के जल संग्रहण क्षेत्रों में काटे जा रहे विविध प्रजातियों के हरे पेड़ों के मामले की जांच की मांग की गई है।उत्तरकाशी में हरुंता, चौरंगीखाल और टिहरी में भिलंगना व बालगंगा के वन क्षेत्रों में हरे पेड़ों का कटान हो रहा है। वनों के इस व्यावसायिक दोहन से जंगल के जानवर, जड़ी बूटियों आग और कटान दोनों से वर्तमान में प्रभावित है।
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