Uttarakhand Glacier Burst: रेस्क्यू टीमें पिछले 3 दिन से एनटीपीसी प्लांट की इनटेक एडिट टनल में लापता मजदूरों की तलाश कर रही थीं, लेकिन बुधवार को उन्हें मिली कि वे सभी मजदूर सिल्ट फिल्ट्रेशन टनल में फंसे हैं, जो इस टनल से 12 मीटर नीचे है।
देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने (Uttarakhand Glacier Burst) के बाद आई जल प्रलय के कारण भारी तबाही मची है। बड़ी संख्या में लोग धौलीगंगा नदी में आई बाढ़ में लापता हो गए। लापता लोगों की तलाश के लिए लगाई गई टीमों को बुधवार को अहम मिली। दरअसल बाढ़ के बाद तपोवन में दो सुरंगों में बड़ी संख्या में मजदूर फंस गए थे। एक सुरंग से तो मजदूरों को निकाल लिया गया, लेकिन दूसरी सुरंग से अभी भी उन्हें निकालने का प्रयास किया जा रहा है। इसी दौरान रेस्क्यू टीम को जानकारी मिली कि वो 3 दिनों से एनटीपीसी हाइड्रो पावर प्लांट की गलत सुरंग में मजदूरों की तलाश कर रही है। असल सुरंग उससे अलग है, जो वहीं नीचे की ओर स्थित है।
आईटीबीपी को बुधवार को मिली इस अहम जानकारी के बाद टीमों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। जल प्रलय के बाद से 170 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। साथ ही 34 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। इनमें से 10 की पहचान होने की जानकारी स्टेट इमरजेंसी कंट्रोल रूम ने दी है।
अफसरों ने जानकारी दी कि आईटीबीपी व अन्य की रेस्क्यू टीमें पिछले 3 दिन से एनटीपीसी प्लांट की इनटेक एडिट टनल में लापता मजदूरों की तलाश कर रही थीं। लेकिन बुधवार को उन्हें जानकारी मिली है कि वे सभी मजदूर इस टनल में नहीं, बल्कि सिल्ट फिल्ट्रेशन टनल में फंसे हैं। वो टनल इस टनल से 12 मीटर नीचे है।
गढ़वाल के कमिश्नर ने जानकारी दी कि, ‘पहले हमें बताया गया था कि एनटीपीसी प्लांट के 180 मीटर अंदर करीब 34 मजदूर फंसे हो सकते हैं। ऐसे में हम इन्हें बचाने के लिए उसी दिशा में खुदाई कर रहे थे। बुधवार को एनटीपीसी अफसरों ने सूचना दी है कि आखिरी बार इन मजदूरों के काम का स्थान सिल्ट फिल्ट्रेशन टनल में था। यह टनल इनटेक एडिट टनल से 12 मीटर नीचे और 72 मीटर दूर है। अब हमने पूरी रणनीति बदलकर पूरा ध्यान सिल्ट फिल्ट्रेशन टनल की खुदाई पर लगा दिया है।
यह भी पढ़े: UP Board Exam 2021: डेट लिस्ट जारी, 24 अप्रैल से शुरू होंगे यूपी बोर्ड एग्जाम