देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) के जंगलों में लगी आग कम होने के बजाए विकराल रूप ही लेती जा रही है। इससे वन क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों के साथ-साथ सरकार की भी चिंता बढ़ गई है। अब जंगल की आग धीरे-धीरे आबादी क्षेत्रों में भी पहुंचने लगी है। एनडीआरएफ (NDRF) की तैनाती का भी फैसला लिया गया है। नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल जिले वनाग्नि से अधिक प्रभावित हैं। जंगलों में लगी आग को रोकने के लिए 12 हजार वन कर्मी लगे हुए हैं जबकि 1,300 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैंसाथ ही वन विभाग के सभी अफसरों और कर्मचारियों की छुट्टियां रद कर दी गई हैं । सभी को अपने-अपने इलाकों (Localities) में रहने का आदेश दिया गया है ।
जंगल की आग पर काबूू पाने के लिए प्रदेश में एयरफोर्स के दो हेलीकॉप्टर लगाए जा रहे हैं। एक हेलीकॉप्टर गौचर में तैनात रहेगा और टिहरी झील से पानी लेगा। दूसरा हेलीकॉप्टर हल्द्वानी में तैनात रहेगा और भीमताल झील से पानी लेगा। 2016 के बाद यह पहला मौका है जब प्रदेश में वनाग्नि पर काबू पाने के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग किया जा रहा है।सोमवार को एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर
उत्तराखंड पहुंचे।
Uttarakhand: Indian Air Force’s helicopter arrives in Koti Colony area of Tehri Garhwal to participate in fire fighting operations in nearby jungles. pic.twitter.com/bpgv7RjGyF
— ANI (@ANI) April 5, 2021
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड Uttarakhand की वन संपदा सिर्फ राज्य की ही नहीं बल्कि पूरे देश की धरोहर है और इसे सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए सरकार तत्पर है। बैठक में सीएम ने कहा कि जंगलों में आग की घटनाओं की सूचना नियंत्रण कक्ष को अविलंब मिले और प्रतिक्रिया समय बेहतर किया जाए। उन्होंने इसमें वन पंचायतों सहित स्थानीय लोगों का सहयोग लेने को कहा लेकिन साथ ही सतर्क किया कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि बच्चे और बुजुर्ग आग बुझाने के लिए ना जाएं।
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