
*मनहूस कोरोना*
एक अकेले वायरस ने, पूरा संसार हिलाया है
डर और दहशत एक साथ सबके चेहरे पर लाया है!
पहले ही सबके जीवन में, था तनाव इतना ज़्यादा
और बढ़ाने मुश्क़िल ये, ‘मनहूस कोरोना’ आया है!!
एक अकेले वायरस ने, पूरा संसार हिलाया है।
और बढ़ाने मुश्किल ये, ‘मनहूस कोरोना’ आया है।।
जाने कहाँ छुपा बैठा था, जान न कोई पाया था
बस थोड़े दिन ही पहले तो, ये चर्चा में आया था!
बेबस हुआ है हर इंसां, अब कैदी हुए हैं घर में सब
और किसी की नहीं है चर्चा, यही जुबां पर छाया है!!
एक अकेले वायरस ने, पूरा संसार हिलाया है।
और बढ़ाने मुश्क़िल ये, ‘मनहूस कोरोना’ आया है।।
रोग ये दुश्मन के जैसा, हर हाल में इसे हरायेंगे
भगा चुके हम कई विदेशी, फ़िर इतिहास दोहरायेंगे!
हम-आप रहेंगे अपने घर में, बेफ़िज़ूल नहीं निकलेंगे
लॉक-डाउन सब पर ये ही, प्रतिबंध लगाने आया है!!
एक अकेले वायरस ने, पूरा संसार हिलाया है।
और बढ़ाने मुश्क़िल ये, ‘मनहूस कोरोना’ आया है।।
संदीप यादव
कवि एवं अधिवक्ता
उच्च न्यायालय, इलाहाबाद