देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) का बेटा मातृभूमि के लिए कुर्बान हो गया। जब सारा देश लॉकडाउन (Lockdown) के बीच अपने घरों में बैठा था तब उसी बीच कुछ लोग है जिन्हें न लॉकडाउन की फिक्र थी, ना कोरोना वायरस का डर। उन्हें फिक्र थी तो सिर्फ और सिर्फ अपने देश की। हम बात कर रहे है उन जांबाजों की जिन्होंने देश को अपना सब कुछ माना और उसी की खातिर क़ुर्बा हो गए। बीते दो दिनों में उत्तराखंड ने अपने तीन वीर सपूतों को गंवा दिया है।
बीते एक महीने में उत्तराखंड (Uttarakhand) के 5 जवान शहीद हो गए। जिनमे रुद्रप्रयाग के शहीद देवेंद्र सिंह राणा, पौड़ी गढ़वाल के शहीद अमित अंथवाल, पिथौरागढ़ के शहीद नायक शंकर सिंह, पिथौरागढ़ के शहीद हवलदार गोकर्ण सिंह चुफाल, अल्मोड़ा के शहीद लॉस दिनेश सिंह शामिल थे। जिन्होंने देश के लिए अपनी जान गवा दी।
उधर जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में भारतीय सेना (Indian Army) और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में सेना के कर्नल और मेजर समेत 5 जवान शहीद। देश के इन शहीदों में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रहने वाले शहीद दिनेश सिंह भी थे। जिन्होंने देश के लिए अपनी जान गवा दी।
कल मौसम ख़राब होने के कारण शहीद (martyred) का पार्थिव शरीर उनके गांव नहीं पहुंच सका था। इसीलिए आज दोपहर 1:30 बजे उनका पार्थिव शरीर उनके गांव लाया जायेगा।
अल्मोड़ा भनोली तहसील के मिर गांव के लांस नायक दिनेश सिंह भी इस मुठभेड़ में शहीद (martyred) हो गए। शहीद दिनेश सिंह गैड़ा की उम्र महज 25 साल थी। वो साल 2015 में सेना में भर्ती हुए थे और अपने परिवार के इकलौते बेटे थे। दिनेश इन दिनों जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा में तैनात थे। शहीद की एक बहन है जिसकी शादी हो चुकी है। वो पिछले साल दिसम्बर महीने में छुट्टी पर घर आया था। इस साल दिनेश जून में यानी अगले महीने घर आने वाला था। 2 दिन पहले ही पिता ने अपने बेटे से फोन से बात की थी। बेटे ने कहा था- मैं जल्द घर आउंगा। बेटा जल्द आएगा। लेकिन तिरंगे में लिपटकर इस बात का परिवार को यकीन नहीं हो रहा है।